मेरे अपने जज्बातों को शब्दों में पिरोने की एक कोशिश... जिससे कि आप रूबरू हो सकें मुझसे और मेरे अपने जज्बातों से...
Monday, February 14, 2011
तुम्हारे इंतजार में...
हमने भी आपको ....
आज विशेष रूप से..
दिल से याद किया...
मौका था प्रेमदिवस का...
लेकिन हम क्या करें...
हमारे तो रोज ही तुम्हारे प्रेम में
दिन और रात गुजरते हैं..
तुम साथ नहीं हैं तो क्या हुआ...
हम तो तुम्हारी राह तकते हैं...
चले आओ इस तरफ तुम
मुद्दतें हो गई तुमसे मिले बिन
मुझे अभी भी याद है, तुम्हारा वो आना
आकर मुझसे लिपट जाना...
फिर छिटककर दूर चले जाना...
धीरे से मुस्कुराकर कान में कुछ गुनगुनाना...
सच पूछो तो आज भी ये तमाम यादें
ताजा हैं... जैसे अभी की ही बात हो
भले ही इन्हें एक दशक से ज्यादा
क्यों न हो गया हो...
फिर भी तुम्हारी यादें
नित रोज नहीं कोंपलों के साथ
पल्लवित होती हैं...
तुम्हारे इंतजार में...
राज...
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