Saturday, November 22, 2008

सर्द मौसम... और तुम्हारी यादें...


मेरी जान,

आज के सर्द मौसम ने...
तुम्हारी यादों के गमले में
प्यार की ओस छिटक दी है...

तुम्हारा वो सुबह-सुबह का घूमना..
मेरा तुम्हें छुपकर देखना...
तुम्हारा अपने बालों का सँवारना..
फिर चेहरे पर हाथ घूमाना...
सच में आज भी तारों-ताजा हैं...

ये यादें हैं मेरी तब की
जब तुम सुबह-सुबह स्कूल जाती थी...
तुम्हारे पीछे भँवरा बन में मँडराता था...

तुम्हारे लवों की ओस को में
अपने लवों से सोखना चाहता था...
तुम्हारे हाथों को थामकर घूमना चाहता था...
पर... .. ये सब सवप्न ही बनकर रह गया
तुम चली गईं...
और मैं आज भी...
तुम्हारे सपनों को थामें रह गया...

सिर्फ तुम्हारा 'राज'

Wednesday, November 19, 2008

मेरा प्यार भरा आमंत्रण सिर्फ तुम्हारे लिए...


मेरी प्रियतमा...


ये सच है कि तुम्हें

मुझसे प्यार है...
कहती नहीं हो तो क्या हुआ...

फिर बताओ तुम्हारा दिल

क्यों इतना बेकरार है...

प्यार का खुमार है, बहुत बेकार...

तुम समझती हो..

हमे पता नहीं...

क्यों है तुम्हारा दिल बेकरार...


छोड़ भी दो अब ये जिद्द तुम्हारी

तुम्हारे दिल में कसक है हमारी...


तभी तो ये दिल...

तुम्हें बुला रहा है..

मिटा दो ये दूरियाँ... और तन्हाइयाँ...

और छा जाओ...

मेरे दिल के आसमान पर प्यार की काली घटा बनकर ...

और बरस जाओ मेरे बंजर दिल पर...


सिर्फ तुम्हारा 'राज'