मेरी जान,
आज के सर्द मौसम ने...
तुम्हारी यादों के गमले में
प्यार की ओस छिटक दी है...
तुम्हारा वो सुबह-सुबह का घूमना..
मेरा तुम्हें छुपकर देखना...
तुम्हारा अपने बालों का सँवारना..
फिर चेहरे पर हाथ घूमाना...
सच में आज भी तारों-ताजा हैं...
ये यादें हैं मेरी तब की
जब तुम सुबह-सुबह स्कूल जाती थी...
तुम्हारे पीछे भँवरा बन में मँडराता था...
तुम्हारे लवों की ओस को में
अपने लवों से सोखना चाहता था...
तुम्हारे हाथों को थामकर घूमना चाहता था...
पर... .. ये सब सवप्न ही बनकर रह गया
तुम चली गईं...
और मैं आज भी...
तुम्हारे सपनों को थामें रह गया...
सिर्फ तुम्हारा 'राज'
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