सब टीवी पर यह धारावाहिक काफी लम्बे समय से आ रहा हैं। आप भी देखते हैं और हम भी देखते हैं। क्या कभी आपने उस लेखक की कल्पना को सराहा हैं, जिसने यह धारावाहिक लिखा हैं। इस धारावाहिक का नाम भी बड़ा अजीब सा हैं कि सजन रे झूठ मत बोलो, जबकि सारे पात्र और सारी बातें झूठी हैं।
हाँ माना कि यह हमें हँसाने और गुदगुदाने के लिए एक अच्छा प्रयास हैं, जो बहुत ही सात्विक रूप से हमारा मनोरंजन करता है। जहाँ एक ओर अन्य धारावाहिकों में रोने, किसी के साथ छलकपट करते हुए या अन्य षड़यंत्रकारी कार्य करते हुए दिखाते हैं, उन सबसे बेहतर हैं सब टीवी के सारे धारावाहिक (यह मेरा अपना सोचना हैं)।
हाँ माना कि यह हमें हँसाने और गुदगुदाने के लिए एक अच्छा प्रयास हैं, जो बहुत ही सात्विक रूप से हमारा मनोरंजन करता है। जहाँ एक ओर अन्य धारावाहिकों में रोने, किसी के साथ छलकपट करते हुए या अन्य षड़यंत्रकारी कार्य करते हुए दिखाते हैं, उन सबसे बेहतर हैं सब टीवी के सारे धारावाहिक (यह मेरा अपना सोचना हैं)।
एक झूठे परिवार को बनाकर अपूर्व ने आफत तो मोल ले ली हैं, लेकिन कई बार इन झूठे पात्र, जो िक रूपए लेकर कार्य कर रहे हैं, एक दूसरे के प्रति सगों से ज्यादा व्यवहारिक होते हुए दिखाई देते है,जो वाकई में िदल को छू जाते हैं। जैसे कि प्रीति का पंकज के प्रति एक तरफा प्रेम और पंकज नामक पात्र का अपूर्व के साथ आत्मिक व्यवहार वाकई में सोचने के लिए मजबूर कर देता हैं कि व्यक्ति इतना व्यथित होने के वाबजूद भी अपूर्व का साथ देता हैं।
ऐसे ही पात्र परेश उर्फ बंगाली बाबू ने भी अपनी कला का बेहतरीन प्रदर्शन िकया हैं। चोर होते हुए भी ईमानदारी का परिचय देते हैं और पल्लबी के आसपास ही मंडराते रहते हैं। परेश ने भी अपूर्व के प्रति काफी सहजता और ईमानदारी का परिचय दिया हैं। कई बार परिवार को मुसीबतों से बचाया हैं।
मेरा इस धारावाहिक के प्रति लिखना किसी सीरियल की बुराई करना या भलाई करना नहीं हैं, बल्कि मैं आप सभी का ध्यान इस ओर इंगित करने का प्रयास कर रहा हूँ कि एक झूठे परिवार में अपनापन और अपनत्व की भावना किस तरह से कूटःकूट कर भरी हुई हैं। यदि यही सारी बातें हमारी अपनी रीयल लाइफ में आत्मसात हो जाए तो कितना बेहतर परिवार बनेगा। हम लोग आज छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान होते रहते हैं। साथ ही एक दूसरे के प्रति पराए जैसा व्यवहार करते हैं। मानता हूँ कि रियल लाइफ और पर्दे की लाईफ में बहुत अंतर होता हैं, परन्तु रीयल लाइफ को ही तो पर्दे पर िदखाया जाता हैं।
मैं इस टीवी धारावाहिक के लेखक और अपनी ओर से ढेर सारा साधुवाद देता हूँ। साथ ही आप सभी की टिप्पणियों की अपेक्षा रखता हूँ।
2 comments:
Nice review !
देखते हैं-मजेदार है.
Post a Comment