Monday, February 14, 2011

तुम्हारे इंतजार में...


हमने भी आपको ....
आज विशेष रूप से..
दिल से याद किया...

मौका था प्रेमदिवस का...
लेकिन हम क्या करें...
हमारे तो रोज ही तुम्हारे प्रेम में
दिन और रात गुजरते हैं..

तुम साथ नहीं हैं तो क्या हुआ...
हम तो तुम्हारी राह तकते हैं...

चले आओ इस तरफ तुम
मुद्दतें हो गई तुमसे मिले बिन
मुझे अभी भी याद है, तुम्हारा वो आना
आकर मुझसे लिपट जाना...
फिर छिटककर दूर चले जाना...
धीरे से मुस्कुराकर कान में कुछ गुनगुनाना...

सच पूछो तो आज भी ये तमाम यादें
ताजा हैं... जैसे अभी की ही बात हो
भले ही इन्हें एक दशक से ज्यादा
क्यों न हो गया हो...

फिर भी तुम्हारी यादें
नित रोज नहीं कोंपलों के साथ
पल्लवित होती हैं...

तुम्हारे इंतजार में...
राज...

Tuesday, January 25, 2011

लाल चौक और तिरंगा....!


वर्तमान में उठ रहा नया विवाद कि कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराया जाएँगा। यह बात कश्मीर के मुख्यमंत्री स्वयं अमर अब्दुलाल ने कहीं। साथ ही कहा कि यदि कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया जाएगा तो वहाँ पर अराजकता का माहौल बन जाएगा। भारत के 62वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर यह राजनीति कौन सा रूप ले रही हैं, इसको समझना बहुत ही जरूरी हैं। भारत के उद्योगपति नवीन जिंदल ने कोर्ट में अर्जी देकर सभी भारतवासियों के लिए हक दिलवाया था कि भारत का हर नागरिक कहीं भी तिरंगा फहरा सकता है वह तिरंगा फहराने के लिए स्व‍तंत्र हैं।

तिरंगा किसी धर्म या जाति का द्योतक नहीं हैं, किसी धर्म का सिबोल नहीं हैं, वह तो राष्ट्रीयता को दर्शाता हैं, यह सभी जानते हैं। फिर भारत में लाल चौक पर तिरंगा न फहराया जाना ये कौन सी बात होती हैं? समझ से परे हैं? यदि इस तरह की प्रतिक्रियाएँ भारत में खुद कश्मीर के मुख्यमंत्री कहते हैं, तो उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए और उन्हें देशद्रोही करार दिया जाकर देश निकाला दे देना चाहिए। जो व्यक्ति भारत के तिरंगे का सम्मान नहीं कर सकता हैं, उसे इस देश में रहने का कोई हक नहीं हैं। जय हिंद।