मेरी प्रियतमा...
ये सच है कि तुम्हें
मुझसे प्यार है...
कहती नहीं हो तो क्या हुआ...
कहती नहीं हो तो क्या हुआ...
फिर बताओ तुम्हारा दिल
क्यों इतना बेकरार है...
प्यार का खुमार है, बहुत बेकार...
तुम समझती हो..
हमे पता नहीं...
क्यों है तुम्हारा दिल बेकरार...
छोड़ भी दो अब ये जिद्द तुम्हारी
तुम्हारे दिल में कसक है हमारी...
तभी तो ये दिल...
तुम्हें बुला रहा है..
मिटा दो ये दूरियाँ... और तन्हाइयाँ...
और छा जाओ...
मेरे दिल के आसमान पर प्यार की काली घटा बनकर ...
और बरस जाओ मेरे बंजर दिल पर...
सिर्फ तुम्हारा 'राज'
1 comment:
nice...
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