ये दोनों शब्द मेरे दिलो-दिमाग में बहुत लम्बे समय से घूम रहे थे। कारण था कि मुझे अपने जॉब से टर्मिनेट कर दिया गया थाऔर फिर मेरे जेहन में समर्पण और कृतज्ञता के भाव आपस में जूझ रहे थे। मैं कृतज्ञ था उन लोगों के प्रति जिन्होंने मुझे काफी सहयोग किया, मेरे काम में सहयोग किया। साथ ही समर्पित था अपने जॉब के प्रति, पर कहते हैं कि समय कहकर नहीं आता। कभी-भी किसी-भी पल कुछ भी घट सकता है।
परिस्थितियॉं व्यक्ति को पता नहीं कहॉं से कहॉं तक पहुँचा देती हैं। इतिहास गवाह है इस बात की व्यक्ति फर्श से अर्श पर और अर्श से फर्श पर समय के एक ही झटके में आ जाता हैं। तभी तो हमारे ग्रंथों में कहा गया हैं कि स्त्री चरित्रम्, पुरुष्य भाग्यम्, ब्रह्मा न जानति, मनुष्यम् कुतम्। यह बात एक सामान्य व्यक्ति के जीवन में भी पूर्णताः चरितार्थ होती है।
जीवन का अनमोल समय मैंने अपने जॉब को समर्पित कर दिया, पूरे 10 साल पूरी लगन और मेहनत से कार्य किया, लेकिन बाद में क्या मिला, कुछ भी नहीं। यह बात भी किसी शायर ने बखूबी कही है कि किस्मत बनाने वाले तूने कमी ना की... किसको क्या मिला ये तो मुकद्दर की बात हैं।
खैर जो होना होता है, वह होकर ही रहता हैं। हम लाख कोशिश कर लें, परन्तु ईश्वर ने जो हमारी किस्मत में लिखा है, वह अवश्य ही होगा। हॉं पर इसमें एक बात आवश्यक रूप से निहित हैं कि हमें अपने कर्म अवश्य करना चाहिए। कर्म यदि नहीं किया तो, फिर ईश्वर भी हमारे लिए कुछ नहीं कर सकता है। क्योंकि भाग्य तो कर्म की बैशाखी का मोहताज होता है। इसलिए कर्म को हमारे शास्त्रों में सर्वोपरि माना गया है।
मैं निराशावादी नहीं हूँ। यदि मेरी किन्हीं बातों से आपको निराशावादी झलकती हैं, तो वह आपका भ्रम होगा। मैं पूर्ण रूप से आशावादी हूँ। हॉं निगेटिव बातें भी व्यक्ति के दिमाग में आती हैं, परन्तु इसका मतलब यह नहीं कि मैं निराश होकर बैठ जाऊँ। कुछ समय के लिए हम हताश जरूर होते हैं, लेकिन जिंदगी में इस तरह के उतार- चढ़ाव का सामना तो करना ही होगा।
मनुष्य यदि इस मृत्युलोक में आता हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह यहॉं पर सुख भोगने के लिए आया हैं। आप सभी जानते हैं कि यदि स्वर्गलोक में किसी को सजा दी जाती थी, तो वह यह थी कि जाओ मृत्युलोक में तुम फलां वर्ष जी कर आओं। कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि आपको यहॉं अपने कर्मों की सजा भुगतना हैं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना है कि आपको अच्छे कार्य भी करना है, जो कि आने वाले समय में आपको मोक्ष की ओर अग्रसर कर सके।
मुझे अपने जीवन में किसी से कोई शिकायत ही नहीं रहीं। क्योंकि मुझे अपने ईश्वर पर पूर्ण विश्वास हैं, कहते हैं, ईश्वर जो करता हैं वह अच्छे के लिए ही करता है।
मैं कृतज्ञ हूँ उन सभी पात्रों का जिन्होंने मुझे सहयोग किया और मेरा समर्पण उनके लिए हमेशा रहेगा।
-राजेन्द्र कुशवाह
1 comment:
बस, ईश्वर में पूर्ण विश्वास बनाये रखिये!!
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