Wednesday, January 21, 2009

सर्द चुभन है तेरे प्यार की...

प्रिय जानम...

शीतल चंद्र की सर्द चुभन है...
मेरे दिल में तेरे प्यार की
अगन है...

तुझे पाने की तड़प ने
मेरे दिल को बेकरार कर दिया
तेरे एहसासों ने मेरे मन को
तेरे प्यार के प्रति और भी
सशक्त कर दिया...

मेरा तड़पता हुआ मन...
बैचेन दिल...
आज भी तेरे एहसासों से महका है...
तेरे प्यार की धुन में
आज तक मेरा
दिल चहकता रहता है...

तुम्हारा 'प्यार'

3 comments:

Vinay said...

किसी प्रेम-पत्र की तरह महकती है यह कविता!

---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

रंजू भाटिया said...

सुंदर ..अच्छी लगी यह

निर्मला कपिला said...

badiyaa hai aapka dil uoon hi chehkta rahe aur hame kavitaayen padhne ko milti rahen bdhaai