तुम कहती हो मुझ से कि 'तुम' ख्याल हो मेरा...
पर मैं ये कहता हूँ कि
ये सिर्फ तुम्हारा 'ख्याल' है...
मेरे 'ख्यालों की वास्तविकता' हो तुम...
जिसे जिया है मैंने...
जिसे चुराया है मैंने...
तुम से...
मुझे मालूम है कि चाहकर भी
मुझे नहीं चाह सकती हो तुम...
पाबंदियाँ लगा सकती हो... तुम...
पर इतना बता दूँ... मैं भी तुम्हें...
सम्भालकर रखना अपने दिल को...
क्योंकि चोर हूँ मैं दिल का...
सोचो गर चुरा लिया ...
तुम्हारा दिल तो क्या होगा... ...
बताता हूँ मैं तुम्हें...
फिर मैं तुम्हारा 'ख्याल' हो जाऊँगा
और जिस दुनिया में रहता हूँ मैं आज...
फिर तुम भी वहीं के हमसाथी हो जाओगे
तुम भले ही न कहो...
कि तुम्हें मुझसे प्यार है...
पर मेरे मन को महकाती है
तुम्हारी ये चुप्पी...
और तुम्हारी 'हाँ' का एहसास कराती है ...
तुम्हारी यह 'खामोशी'
सिर्फ तुम्हारा 'मन'
4 comments:
वाह जी बेहतरीन रचना
आप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...
जय हिंद जय भारत
bahut sunder rachana
बहुत ही प्यारी और भाव भरी रचना
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
तुम भले ही न कहो...
कि तुम्हें मुझसे प्यार है...
पर मेरे मन को महकाती है
तुम्हारी ये चुप्पी...
और तुम्हारी 'हाँ' का एहसास कराती है ...
तुम्हारी यह 'खामोशी'
बहुत अच्छी रचना है....
सिर्फ तुम्हारा 'मन'
आप सबों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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